माँ |
अथाह विस्तृत अंबर माँ।
निर्मल शीतल निर्झर माँ।।
मीठे पय का दरिया माँ।
सुख सागर का जरिया माँ।।
गहरा अतल समंदर माँ।
स्वर्ण प्रभा -सी खर है माँ।।
निंदिया का स्वप्न बिछौना माँ।
बचपन का मेरे खिलौना माँ।।
बच्चों की रक्षा कवच माँ ।
मिथ्या से जग में सच माँ।।
मंजिल की ओर जाती डगर माँ।
योद्धाओं सी निडर माँ।।
सुख सौख्य का खज़ाना माँ।
संगीतमय तराना माँ।।
परमेश्वर की अनुकंपा माँ।
खुशबू में जूही चंपा माँ।।
जगती के कण -कण में माँ।
मेरे जीवन के हर क्षण में माँ।।
कोटि- कोटि वंदनीय माँ।
शत -शत प्रणाम मेरी नमनीय माँ।।
Ma tujh pe kurban sara jahan
ReplyDeleteBahut sundar
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय
Deleteवाह ..... बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआभार आपका दीदी।
Deleteअति सुंदर रचना
ReplyDeleteआभार सचिन जी। आपका स्वागत है मेरे इस नए ब्लॉग पर।
Deleteअथाह विस्तृत अम्बर मां सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteशुक्रिया ऋतु जी
Deleteवाह बहुत सुंदर।माँ शब्द से सुंदर दुनिया मे कुछ भी नही
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आपका
Deleteमाँ की महिमा अपार!
ReplyDeleteजी बिलकुल सही मैम
Deleteबेहद खूबसूरत रचना 👌
ReplyDeleteशुक्रिया अनु जी
Deleteवाह !! माँ के स्वरूप का सुंदर चित्रण ,सादर नमन
ReplyDeleteआभार सखी कामिनी
Deleteबहुत ही सुंदर सृजन आदरणीया दीदी.
ReplyDeleteसादर
आभार अनिता जी🙏🙏🙏💟
ReplyDeleteमाँ के हर भाव को समेटना एक रचना में आसान नहीं ... आपकी कोशिश को नमन है मेरा ...
ReplyDeleteआपकी प्रतिक्रिया आल्हादित करती है आदरणीय नासवा जी।बहुत बहुत आभार आपका।
Deleteखुद इस स्वरुप में आने के बाद। .."" माँ"" के लिए और भी भावनाये उमड़ उमड़ के आती हैं। ..
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर सृजन आदरणीया
जोया जी हार्दिक आभार जो आप इस ब्लॉग पर आईं.. बहुत बहुत स्वागत है आपका.. 💐💐💐
Deleteउत्साहवर्धन करती टिप्पणी के लिए भी आपका सहृदय आभार 🙏 🙏 🙏 सादर नमन
Thank you so much
ReplyDelete