Sunday, May 10, 2020

माँ.....

             
माँ

अथाह विस्तृत अंबर माँ।
        निर्मल शीतल निर्झर माँ।।

मीठे पय का दरिया माँ।
         सुख सागर का जरिया माँ।।

गहरा अतल समंदर माँ।
            स्वर्ण प्रभा -सी खर है माँ।।

निंदिया का स्वप्न बिछौना माँ।
       बचपन का मेरे खिलौना माँ।।

बच्चों की रक्षा कवच माँ ।
        मिथ्या से जग में सच माँ।।

मंजिल की ओर जाती डगर माँ।
                 योद्धाओं सी निडर माँ।।

सुख सौख्य का खज़ाना माँ।
                संगीतमय तराना माँ।।

परमेश्वर की अनुकंपा माँ।
                खुशबू में जूही चंपा माँ।।

जगती के कण -कण में माँ।
           मेरे जीवन के हर क्षण में माँ।।

कोटि- कोटि वंदनीय माँ।
        शत -शत प्रणाम मेरी नमनीय माँ।।

23 comments:

  1. Ma tujh pe kurban sara jahan
    Bahut sundar

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय

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  2. वाह ..... बहुत सुन्दर

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  3. अति सुंदर रचना

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    1. आभार सचिन जी। आपका स्वागत है मेरे इस नए ब्लॉग पर।

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  4. अथाह विस्तृत अम्बर मां सुन्दर प्रस्तुति

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  5. वाह बहुत सुंदर।माँ शब्द से सुंदर दुनिया मे कुछ भी नही

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका

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  6. बेहद खूबसूरत रचना 👌

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  7. वाह !! माँ के स्वरूप का सुंदर चित्रण ,सादर नमन

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  8. बहुत ही सुंदर सृजन आदरणीया दीदी.
    सादर

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  9. आभार अनिता जी🙏🙏🙏💟

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  10. माँ के हर भाव को समेटना एक रचना में आसान नहीं ... आपकी कोशिश को नमन है मेरा ...

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    1. आपकी प्रतिक्रिया आल्हादित करती है आदरणीय नासवा जी।बहुत बहुत आभार आपका।

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  11. खुद इस स्वरुप में आने के बाद। .."" माँ"" के लिए और भी भावनाये उमड़ उमड़ के आती हैं। ..

    बहुत ही सुंदर सृजन आदरणीया

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    1. जोया जी हार्दिक आभार जो आप इस ब्लॉग पर आईं.. बहुत बहुत स्वागत है आपका.. 💐💐💐
      उत्साहवर्धन करती टिप्पणी के लिए भी आपका सहृदय आभार 🙏 🙏 🙏 सादर नमन

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